प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज की पहली पुस्तक "सत्संग-योग चारो भाग" है। इस पुस्तक में प्राचीन-अर्वाचीन, ऋषि-मुनियों, साधु-संतों और ईश्वर-भक्तों की ईश्वर, ध्यान, सत्संग, सदाचार, गुरु-भक्ति, मोक्ष आदि विषयों से संबंधित विचारों के संकलन है ं। लास्ट में गुरु महाराज 107 पैराग्राफ में मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक जानकारी दी है । इसलिए इसे मोक्ष- दर्शन नाम से भी प्रकाशित किया गया है। इसका पाठ करके कोई भी व्यक्ति अपने मोक्ष-मार्ग को सहज ही समझ सकता है। सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज अपने साधनात्मक अनुभूति के आधार पर इस ग्रंथ को प्रकाशित करवाया है।
सत्संग-योग चारो भाग
ऋषि-मुनियों, साधु-संतों की वाणीयुक्त सत्संग-योग
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग - योग चारों भाग ' आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भानुमति के पिटारे के समान अद्भुत है। इसे सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज द्वारा लिखा और संपादित किया गया है। इसमें प्राचीन ऋषियों, आधुनिक संत-महात्माओं, विद्वान साधु-साधकों द्वारा अध्यात्म, योग, ईश्वर, भक्ति आदि बातों से संबंधित वाणियों का समागम है । अनेक सत्पुरुषों और सन्तों के संग का प्रतिनिधि - स्वरूप यह ' सत्संग - योग ' है । इसे चार भागों में लिखा गया है और चारों भागों को एक साथ ही प्रकाशित किया गया है। हाँ केवल चौथे भाग को मोक्ष- दर्शन के नाम से अलग से भी प्रकाशित किया जाता है।
सत्संग योग चारो भाग ( हार्डकवर युक्त)
सत्संग-योग चारो भाग का परिचय
इस ग्रंथ में वेदों, उपनिषदों, श्रीमद्भगवद्गीता , श्रीमद्भागवत, अध्यात्मरामायण, शिव-संहिता, ज्ञान सङ्कलिनी तन्त्र , बृहत्तन्त्रसार , ब्रह्माण्ड पुराणोत्तर गीता , महाभारत और दुर्गा सप्तशती इत्यादि के मोक्ष - सम्बन्धी सदुपदेशों का लाभ प्रथम भाग से प्राप्त होता है ।
मोक्ष-मार्ग का नक्शा या सांकेतिक चित्र
दूसरे भाग में भगवान् महावीर , भगवान् बुद्ध , भगवान् शंकराचार्य , महायोगी गोरखनाथ जी महाराज , संत कबीर साहब , संत रैदास , सन्त कमाल साहब , गुरु नानक साहब , दादू दयाल साहब , पलटू साहब , सुन्दर दास जी महाराज , गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज , भक्तवर सूरदास जी महाराज , हाथरस - निवासी तुलसी साहब , राधास्वामी साहब , श्रीरामकृष्ण परमहंस , स्वामी विवेकानन्द जी महाराज , लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक , बाबा देवी साहब इत्यादि बावन सन्तों , महात्माओं और भक्तों के सदुपदेश हैं ।
सत्संग योग चारो भाग ( अंग्रेजी में)
तीसरे भाग में वर्तमान विद्वानों और महात्माओं के उत्तमोत्तम वचन हैं , जो ' कल्याण ' पत्र तथा अन्य ग्रन्थों से उद्धृत हैं । इन तीनों के अध्ययन और मनन से ब्रह्म , ईश्वर और परमात्मा का , ईश्वर - भक्ति का , बन्धन तथा मोक्ष का उत्तम ज्ञान होता है ।ईश्वर भक्ति का और मोक्ष का, इनमें एक ही साधन - ज्ञान तथा योगयुक्त भक्ति है। इन तीनों भागों का उत्तम मनन करने पर वेद-वेदान्त में और सन्तों के मत में मोक्षधर्म-सम्बन्धी विचारों का तथा साधन - मार्ग की पूर्ण एकता का उत्तम निर्णय हो जाता है। और, 'श्रीमद्भगवद्गीता-रहस्य' में प्रकाण्ड विद्वान लोकमान्य बालगंगाधर तिलक महोदयजी लिखित यह वाक्य - 'सारे मोक्षधर्म के मूलभूत अध्यात्मज्ञान की परम्परा हमारे यहाँ उपनिषदों से लगाकर ज्ञानेश्वर, तुकाराम, रामदास, कबीरदास, सूरदास, तुलसीदास इत्यादि आधुनिक साधु-पुरुषों तक अव्याहत चली आ रही है। ' ( गीता रहस्य, पृष्ठ २५० ) पूर्ण रूप से चरितार्थ हो जाता है।
इन भागों में भक्ति और मुक्ति के साधन में सत्संग, गुरु- सेवा, परम प्रभु परमात्मा में अत्यन्त प्रेम, सदाचार, हृदय की शुद्धि, जप और ध्यान- इन सातों का ही साधन मुख्य करके कहा गया है। ध्यान-साधन में स्थूल ध्यान और सूक्ष्म ध्यान- दोनों का वर्णन है। सूक्ष्म ध्यान में विन्दु- ध्यान - ज्योतिर्ध्यान - दृष्टियोग का तथा नादानुसन्धान वा नाद ध्यान वा सुरत-शब्द-योग का वर्णन पाया जाता है।
सत्संग योग का लास्ट कवर पेज
"सत्संग- द्वारा श्रवण-मनन से मोक्षधर्म-सम्बन्धी मेरी जानकारी जैसी है, उसका ही वर्णन चौथे भाग में मैंने किया है। परमात्मा, ब्रह्म, ईश्वर, जीव, प्रकृति, माया, बन्ध-मोक्षधर्म वा सन्तमत की उपयोगिता, परमात्म-भक्ति और अन्तर-साधन का सारांश साफ-साफ समझ में आ जाय - इस भाग के लिखने का हेतु यही है। इसके सत्य प्रतीत होनेयोग्य बातें सन्त तुलसी साहब की हैं- विश्वास करनेयोग्य है; क्योंकि तुलसी साहब के ऐसे सच्चे सन्त के सत्य, युक्तियुक्त बातें ही कही जानेयोग्य हो सकती हैं। इसीलिए मैंने 'घटरामायण' के उद्धरणों को सन्त तुलसी साहब की वाणी के अन्दर रखा है।"
सत्संग सेवक
--मेँहीँ
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प्रभु प्रेमियों ! मBuy Nowहर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज के इस पोस्ट का पाठ करके आप लोगों ने जाना कि 👉 सत्संग - योग चारों भाग ' आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भानुमति के पिटारे के समान है। इसमें योग से संबंधित हर तरह की जानकारी उपलब्ध है। केवल इस एक ग्रंथ का अध्ययन करके योग शास्त्र के धुरंधरों को भी अनुचित मार्ग से हटाने में समर्थ हो जायेंगे। इत्यादि बातें। इतनीजानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बताएं, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग के सदस्य बने। इससे आप आने वाले हर पोस्ट की सूचना आपके ईमेल पर नि:शुल्क भेजा जायेगा। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.।
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