Product Description
सत्य ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें सतत जागरूक रहना चाहिए और वह जहाँ कहीं भी मिले , उसे श्रद्धापूर्वक अवश्य ग्रहण कर लेना चाहिए । सद्ग्रंथों का पाठ करते रहने पर हमें कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य कर्मों का ज्ञान होता रहता है । कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य कर्मों का ज्ञान न होने पर हमारे द्वारा अकर्त्तव्य कर्म भी किया जा सकता है , जिससे हमारा उत्थान नहीं , अध : पतन होगा । यही कारण है कि प्रतिदिन कुछ समय तक सद्ग्रंथों का स्वाध्याय करना आध्यात्मिक साधकों के लिए अनिवार्य बतलाया गया है । सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय की अनिवार्यता को दृष्टि में रखते हुए ही अष्टांग योग के दूसरे अंग नियम ( शौच , संतोष , तप , स्वाध्याय और ईश्वर - प्रणिधान ) के अंदर स्वाध्याय को भी एक स्थान मिला हुआ है । उपनिषद् भी कहती है कि स्वाध्याय करने में प्रमाद मत करो । ' शेख सादी की शिक्षाप्रद कथाएँ ' प्रकाशित करके हम सामान्य जनों को एक नयी पुस्तक के स्वाध्याय का सुन्दर अवसर प्रदान कर रहे हैं । इस पुस्तक में शेख सादी की अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात पुस्तक ' गुलिस्ताँ ' से चुनी हुई अड़तीस उपदेशपूर्ण कथाओं और कुछ महत्त्वपूर्ण सूक्तियों का समावेश किया गया है ।
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