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    जय गुरु महाराज,
       प्रभु प्रेमियों! सत्संग ध्यान में आपका स्वागत है। आइये आपको अपने बारे में जानकारी देता हूं।मैं सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज का शिष्य हूं हमारे गुरु महाराज का ऐलान है। 

सद्गुरु महर्षि मेंही का ऐलान

अध्यात्मिकता में सब मिलो
अध्यात्मिकता में सब मिलो

               सत्संग ध्यान एक परिचय
     सत्संग ध्यान क्या है? इस बात की चर्चा गुरु महाराज के उपदेशों में, साहित्यों में बताया गया है। उन्हीं बातों को एक साथ पढ़ने के लिए सत्संग ध्यान ब्लॉग बनाया गया है। इस ब्लॉग का सञ्चालन नियमित रूप से मैं करता हूं। अब मैं कौन हूं। यह भी जान लें।

     प्रभु प्रेमियों । मैं कौन हूं? मैं कहां रहता हूं? क्या करता हूं ? हमारे आगे की योजना क्या है ? मैंने पहले क्या-क्या कर रखा है? आज इसके बारे में आपसे कुछ बातें करेंगे । क्योंकि हमारे बहुत से पाठकों के मन में ये प्रश्न है और वे लोग हमें कॉमेंट भी किए है। तो आइए, मैं आपको अपने जन्म से ही सारी बातें बताता हूं।

     मेरी मां स्व. रामावतीदेवी जो एक धर्म परायण महिला थी । हमारे जन्म के पहले से ही सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज की शिष्या थीं। अतः मैं अपनी मां की पेट से ही सतगुरु महाराज के उपदेशों को सुनते-समझते आ रहा हूं। यह चित्र हमारी माता जी की है।

मां का परिचय
मां का परिचय

      हमारा जन्म सन 1974 ई. के आसपास छठ पर्व के कद्दू भात के दिन हुआ था । लेकिन मेरे स्कूल के सटिफिकेट में 17 .11 .1978 ई. लिखा दिया गया है। मेरा प्रारंभिक शिक्षा मुंगेर के तोफिर दियारा से शुरु हुआ और भागलपुर में समाप्त हो गया। मैं जब छठे क्लास में पढ़ रहा था, तब से ही महर्षि मेंही आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर- 812003 बिहार (भारत) में रहने लगा और वहां से  ही पढ़ते हुए नाईन क्लास तक पढ़ा । इसी बीच 14 जनवरी 1987 ई. को कुप्पाघाट में ही पूज्य पाद शाही स्वामी जी महाराज से दीक्षा लेकर पूर्ण वैरागी होकर कुप्पाघाट में 1999 ई. तक पूजनीय  छोटेलाल बाबा की सेवा करके हुए रहा और वहां सेवा करते हुए हरिद्वार, प्रयाग, नाशिक आदि तीर्थ स्थानों में भ्रमण भी किया। 

     इन जगहों में घूमने और गुरु महाराज के उपदेशों को पढ़ने-समझने के बाद हमारे मन में दृढ़ निश्चय हो गया कि अध्यात्म-ज्ञान से बढ़कर कोई ज्ञान नहीं है । हमारे गुरु महाराज ने जो ज्ञान बताया है, वह उपनिषद, रामायण, श्रीमद्भागवत् गीता, भागवत् एवं सभी पहुंचे हुए संतो की वाणीयों का सार है और इससे बढ़कर कुछ हो नहीं सकता और ना कोई मनुष्य जीवन का प्राप्तब्य ही है । अतः मैं इसकी उपलब्धि करने की ओर लग गया या इस ज्ञान को चरितार्थ करने में, अपने जीवन में  चरितार्थ करने में, अपने जीवन में उतारने में लग गया। 

2013 का सत्संग ध्यान  विज्ञापन
2013 का सत्संग ध्यान विज्ञापन
   इस काम को करने के लिए मैं 19 जनवरी सन्  2000 ई. से सत्संग ध्यान का लगातार अनुष्ठान आरंभ किया और जब तक मोक्ष प्राप्त ना हो जाए तब तक सत्संग ध्यान करते रहने का संकल्प किया। अब तक के कार्यक्रम में कई तरह के विघ्न बाधा के साथ कई सहयोगी भी साथ हुए। इसमें सहायता करने के क्रम में  हमारे छ: सदस्यों का सत्संग ध्यान अनुष्ठान मंडली तैयार हो गया। जिसके सदस्यों की फोटो तथा परिचय निम्नांकित है-

 सत्संग ध्यान प्रचार समिति परिचय चित्र
सत्संग ध्यान प्रचार समिति परिचय चित्र

१. ईस्टदेव -सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज, २. गुरु महाराज के प्रधान शिष्य-पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज, ३. दीक्षा गुरु- पूज्यपाद शाही स्वामी जी महाराज, ४. अध्यात्मिक सहायक -पूज्यपाद लालदास जी महाराज, ५. महामंत्री+भौतिक सहायक -स्वामी राममुनि जी महाराज, ६. संचालक+अनुष्ठान कर्ता -सत्संग ध्यान (वरुण दास), ७. व्यवस्थापक+भंडारी -उर्मिला देवी, ८. कोषाध्यक्ष+सहायक मंत्री -दीपा कुमारी+उर्मिला देवी, ९. कोषसंग्राहक+सदस्य  -दीपक कुमार, १०. कोष व्यवस्थापक+सदस्य -दिनेश कुमार तथा ११. सहायक+सदस्य  -नंदनी कुमारी । 

      वर्तमान में महर्षि मेंही आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर 812003, बिहार (भारत) के पास सतगुरु सत्संग मंदिर मायागंज कालीघाट भागलपुर बिहार में सत्संग ध्यान का लगातार कार्यक्रम चलाते हुए बीच में जो अवकाश मिलता है उसी समय में  इंटरनेट के माध्यम से आप लोगों को गुरु महाराज के वचनों, प्रवचनों, साहित्यों, संस्मरणों एवं वर्तमान में सत्संग कार्यक्रमों की जानकारी का प्रचार-प्रसार करते हुए जीवन बिताना ही हमारा लक्ष्य है। जय गुरु महाराज।

   सत्संग ध्यान कार्यक्रम में भाग लेने अथवा अन्य  किसी सहायता, सहयोग की जानकारी के लिए संपर्क करने के लिए हमारा दूसरा पेज देखें। वहां तक पहुंपहुंुु

सत्संग-ध्यान से संपर्क करने का पता व शर्तें
सत्संग ध्यान से संपर्क करने का तरीका- प्रभु प्रेमियों नीचे लिखे पता पर संपर्क कर सकते हैं लेकिन केवल सत्संग ध्यान से संबंधित बातों के लिए ही ।

      प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के ज्ञान ध्यान एवं प्रैक्टिकल अनुभव जानने के लिए आप हमारे निम्नलिखित सोशल मीडिया पर संपर्क कर सकते हैं-

      सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों के बहुत सारे प्रवचनों को पढ़ने के लिए हमारे 'सत्संग ध्यान ब्लॉग' के निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें-
https://satsangdhyan.blogspot.in

      सभी प्रभु प्रेमी ! आपस में मिलकर कैसे रह सकते हैं? इस बात की विशेष जानकारी के लिए हमारे फेसबुक प्रोफाइल पर संपर्क करें। जिसका लिंक  नीचे है-
https://www.facebook.com/profile.php?id=100015889027291

      सत्संग ध्यान क्या है? इसको स्टेप बाय स्टेप या क्रम-क्रम से समझने के लिए हमारे 'सत्संग ध्यान स्टेप बाय स्टेप ब्लॉग' के निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें-
http://satsangdhyansbs.blogspot.in

      साधनशील सत्संगी भाई-बहनों को कैसा भोजन करना चाहिए? जिससे की उसका तन (शरीर) स्वस्थ रहे और मन भजन में लगा रहे । इस विषय पर गुरु महाराज एवं अंन्य संतो के विचार जानने के लिए हमारे 'सत्संग ध्यान एक' फेसबुक पेज पर संपर्क करें । जिसका लिंक के नीचे दिया है-
https://www.facebook.com/satsangdhyaan1/

     सत्संग ध्यान के विविध कार्यक्रम किन-किन महापुरुषों का कहां-कहां हो रहा है? इस बात की पूरी जानकारी के लिए, हमारे 'सत्संग ध्यान हेल्प' फेसबुक पेज पर संपर्क करें। जिसका लिंक नीचे है
https://www.facebook.com/satsangdhyaanHelp/

      अगर आपके आसपास सत्संग ध्यान का कोई कार्यक्रम हो रहा है और आप उसका विज्ञापन कराना चाहते हैं, तो हमारे मोबाइल नंबर- ७५४७००६२८२ पर दिन के समय 12:00 से  2:00 बजे तक ही संपर्क करें अथवा सत्संग ध्यान के विभिन्न कार्यक्रमों की पूरी जानकारी फोटो सहित या बैनर के जैसा बना कर WhatsApp पर भेजें। भेजने के पहले फोन से सूचित करें। या Whats App पर  कौल भी सकते हैं। WhatsApp नंबर 7547006282 है।

      सत्संग ध्यान के प्रेरणास्त्रोत सद्गुरु  महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के आश्रम के पास स्थित सत्संग ध्यान अनुष्ठान केंद्र तक पहुंचने का निम्न पता है- 'सतगुरु सत्संग मंदिर' मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003  ( बिहार ) भारत । यहां आने के पहले उपर्युक्त फोन नंबर से संपर्क कर लें।
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