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पूज्यपाद सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंसजी महाराज की समस्त कृतियों में ' महर्षि में ही - पदावली ' सर्वाधिक लोकप्रिय है और यही करण है कि हर साल इसकी बिक्री सबसे अधिक होती है । इसकी लोकप्रियता के तीन कारण हैं - एक तो इसमें उन सभी स्तुति - प्रार्थनाओं , सन्तमत सिद्धान्त , सन्तमत की परिभाषा और आरतियों का समावेश है , जिनका प्रतिदिन किये जानेवाले सत्संग में सत्संगियों द्वारा मौखिक पाठ किया जाता है । दूसरे , इसके प्रायः सभी पद्य गेयता तथा भाव सौंदर्य से भरपूर हैं ; और तीसरे , इसमें गुरुदेव की साधना जनित सद्यः अनुभूति की सम्यक् अभिव्यक्ति हुई है । यद्यपि पदावली की भाषा प्रायः सर्वत्र सरल है , तथापि भाव की गंभीरता और कहीं - कहीं पारिभाषिक शब्दों के प्रयुक्त होने के कारण जन सामान्य को इसके भावों को समझ पाने में कठिनाई होती है । सामान्य जनों की इसी कठिनाई को दूर करने के उद्देश्य से समय - समय पर साधु - महात्माओं और विद्वानों द्वारा पदावली की कई टीकाएँ - प्रस्तुत की गईं ।
"महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" का नया संस्करण उपलब्ध हुआ है। इसके पहले का संस्करण पुस्तकालय संस्करण था। जिसमें हार्ड कवर था और वह महंगा था। इस संस्करण में हार्ड कवर नहीं है। बाकी सभी चीजें अच्छी है और यह 30% सस्ती है। इस संस्करण को लेने के लिए अभी ऑनलाइन आर्डर करें अथवा हमारे 'सत्संग ध्यान स्टोर' पर पधारें ।
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