MS06  संतवाणी सटीक ।। 33 सन्तो के ईश्वर-भक्ति, साधना, मोक्ष इत्यादि से सम्बंधित भजनों का सटीक संग्रह ।

MS06 संतवाणी सटीक ।। 33 सन्तो के ईश्वर-भक्ति, साधना, मोक्ष इत्यादि से सम्बंधित भजनों का सटीक संग्रह ।

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MS06  संतवाणी सटीक  

     प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज की छठी पुस्तक "संतवाणी सटीक" है इस पुस्तक में संतो के शब्दों, भजनों का अर्थ सहित विश्लेषण किया गया है। इसमें 33 संतो के लोकोपकारी भजनों, चेतावनी पद्यों, निर्गुण छंदों एवं अन्य तरह के मुमुक्षु साधकों के ओठों पर सदा गुनगुनाने वाली मीठी वाणियों के  शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणियां सरल भारती भाषा में इस तरह लिखा गया है कि  मानो भजन लेखक और टीकाकार  दोनों एक साथ उस जगह पर हो जहां पर यह भजन को चरितार्थ किया गया हो या जहां पर भजन के भाव घटित हुए हो । इस प्रकार के भजन भावार्थ को पढकर मन भाव विभोर होकर नाचने लगता है और भजन के आनंद में  गोता लगाने लगता है । आइए गुरु महाराज के इस पुस्तक का सिंहावलोकन करें। 

     महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज की पांचवीं पुस्तक "श्रीगीता- योग प्रकाश" के बारे में जानने के लिए   👉 यहां दवाएँ। 

संतवाणी सटीक
संतवाणी सटीक

संतवाणी के असली गुढ़ एवं मर्मार्थ को बताने वाली अद्वितीय पुस्तक का नाम संतवाणी सटीक है। 

     "गुरु महाराज ने दृढ़ता के साथ यह ज्ञान बतलाया कि सब संतों का एक ही मत है । मैंने सोचा कि यदि बहुत - से संतों की वाणियों का संग्रह किया जाए , तो उस संग्रह के पाठ से गुरु महाराज की उपर्युक्त बात की यथार्थता लोगों को उत्तमता से विदित हो जाएगी । इसी हेतु मैंने यत्र - तत्र से उनका संग्रह किया ।"
संतवाणी सटीक आंतरिक पृष्ठ
संतवाणी सटीक आंतरिक पेज


संतों की वाणी में क्या होता है❓

    संतों की वाणी संतों की अनुभूतियों और अनुभवों का अगम और अपार सिन्धु है । संतों का अनुभव योग - समाधि का अनुभव है , जो योग - अभ्यास की अन्तिम प्रत्यक्षता है , न कि केवल सोच - विचार का साहित्यिक अनुभव । ऐसे समुद्र में उसके ऊपरी तल में भी गोता लगाना अति दुर्लभ है , फिर उसके अन्तर की तह के अंत तक पहुँचकर उसका पूर्ण ज्ञाता बनना विकट से भी विकट , दुर्लभ से भी दुर्लभ और अद्वितीय महान कार्य है । मैं तो अपने को उसके ऊपरी तल में भी गोता लगाने के योग्य नहीं बना सकता हूँ , केवल उस तल को शायद कभी - कभी छू भर पाता हूँ ।


संतवाणी लास्ट कवर
संतवाणी सटीक लास्ट कवर


संतों की भक्ति कैसी है❓

    " संतों ने ज्ञान और योग - युक्त ईश्वर - भक्ति को अपनाया । ईश्वर के प्रति अपना प्रगाढ़ प्रेम अपनी वाणियों में दर्शाया है । उनकी यह प्रेमधारा ज्ञान से सुसंस्कृत तथा सुरत - शब्द के सरलतम योग - अभ्यास से बलवती होकर , प्रखर और प्रबल रूप से बढ़ती हुई अनुभूतियों और अनुभव से एकीभूत हो गई थी , जहाँ उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हुआ और परम मोक्ष प्राप्त हुआ था । उनकी वाणी उन्हीं गम्भीरतम अनुभूतियों और सर्वोच्च अनुभव को अभिव्यक्त करने की क्षमता से सम्पन्न और अधिकाधिक समर्थ है । ' संतवाणी सटीक ' में पाठकगण उसी विषय को पाठ कर जानेंगे । "
                                                        सत्संग सेवक  --मेँहीँ


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     प्रभु प्रेमियों ! अन्य साहित्य सीरीज के इस पोस्ट का पाठ करके आप लोगों ने जाना कि 👉  संतवाणी, संतों की वाणी है  जैसे संत कबीर वाणी, संतवाणी भजन, संत रविदास की वाणी, संतो के शब्द वाणी, संतवाणी हिंदी, संतलोग की भक्ति कैसी है? संत कैसा होना चाहिए?  संत की परिभाषा क्या है? संत कौन है?  इत्यादि बातें।  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार   का  कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें।  इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बताएं, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग के  सदस्य बने। इससे  आप आने वाले हर पोस्ट की सूचना  आपके ईमेल पर नि:शुल्क भेजा जायेगा। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.


महर्षि साहित्य सीरीज की अगली पुस्तक है- MS07

महर्षि मेंही साहित्य सीरीज के सातवीं पुस्तक, महर्षि मेंही पदावली
महर्षि मेँहीँ पदावली

प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज  की अगली पुस्तक  महर्षि मेँहीँ पदावली  है । . इस पुस्तक के बारे में विशेष जानकारी के लिए    👉 यहां दवाएँ। 

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